मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ जन्म https://shivchalisas.com